-पहले कोर्ट को बीघा और एकड़ में अरझाया-
-अब दस्तावेज न मिलने का दे रहे हैं हवाला-
-सेना और फार्म हाउस आॅनर दोनों हैं परेशान-
-अगली सुनवाई 27 अगस्त को सुनिश्चित-
अश्वनी श्रीवास्तव
नोएडा। सेना का भूमि विवाद दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। ज्ञात हो कि नोएडा के नंगली साकपुर समेत छह गांवों में सेना की भूमि की पुष्टि बीते दिनों हो चुकी है। मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है। 28 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान नोएडा के अफसरों ने जो दलील दी वह न तो किसी के गले उतर रही है और न ही किसी सरकारी महकमे के अधिकारियों की जिम्मेदार होने का सबूत दे रही है। डिमार्केशन न हो पाने के कारण दो राज्यों का सीमा विवाद भी बरकरार है। हालांकि न्यायालय ने जिला प्रशासन को अगली 27 तारीख तक का वक्त दिया है। अगली सुनवाई में मामले को निस्तारित करने के लिए कहा है।
उल्लेखनीय है कि नोएडा के नंगली साकपुर समेत छह गांवों का मसला लंबे समय से कोर्ट में विचाराधीन है। मसले की वजह सेना की जमीन को जिला प्रशासन की मिलीभगत से भू माफियाओं को बेचा जाना है। जिन लोगों ने यहां भूमि, भू-माफियाओं से खरीदी है, उनके पास भूमि से संबंधित समस्त दस्तावेज मौजूद हैं। मजेदार बात यह है कि जिला प्रशासन की देखरेख में ही सारी भूमियों की रजिस्ट्री व दाखिल-खारिज इन्हीं प्रशासनिक अधिकारियों ने की। गौर करने वाली बात यह भी है कि विभागीय अधिकारियों की मुहर व हस्ताक्षर भी इन कागजों पर मौजूद हैं जिन्हें न्यायालय में विभागीय अधिकारी गायब होने की बात कर रहे हैं। मामले का खुलासा उच्च न्यायालय में एक याचिका की सुनवाई के दौरान हुआ। जबकि याचिकाकर्ता का आरोप है कि जिला प्रशासन की मिलीभगत के बगैर इतनी बड़ी भूमि का सौदा हो ही नहीं सकता था।
जिला प्रशासन के अफसरों के जहन में अब उच्च न्यायालय के आदेशों का भी खौफ नहीं है। अजीत बताते हैं कि न्यायालय में सुनवाई के दौरान पहले तो अधिकारियों ने कोर्ट को गुमराह करते हुए भूमि कम बताई जबकि अब न्यायालय को दस्तावेज न होने की बात पर गुमराह कर रहे हैं। इससे फैसले में देरी हो रही है।
अजीत बंजरगी
याचिकाकर्ता