-कई सौगात लेकर जाएंगे प्रधानमंत्री मोदी
-लीची नगरी मुजफ्फरपुर की रैली से विधानसभा चुनाव का आगाज
-करीब 14-15 मंत्रालयों ने मिलकर तैयार की है विकास की रूपरेखा
-अनंत कुमार, भूपेंद्र यादव और सौदान सिंह के कंधों पर अहम जिम्मेदारी
विभूति कुमार रस्तोगी
नई दिल्ली। हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर में जीत की नई इबारत लिखने के बाद दिल्ली विधानसभा में चुनाव बुरी तरह से हारने वाली भाजपा बिहार में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। बिहार विधानसभा चुनाव से फिर एक बार देश में भाजपा की जीत का पहिया घुमाने की कवायद में पार्टी जुट गई है। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा हर हाल में जीत दर्ज कर एक तीर से दो निशाना साधना चाहती है। पहला, लोकसभा चुनाव में मोदी का विरोध करने वाले नीतीश को सबक सिखाना और दूसरा, दिल्ली में हार के गम को बिहार में खुशी में बदलना। क्योंकि अगर भाजपा बिहार में सत्ता में नहीं आती है, तो उसके लिए उत्तर प्रदेश की सत्ता भी दिल्ली दूर जैसी हो जाएगी। लिहाजा अक्टूबर-नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में परिवर्तन का ब्लू प्रिंट भाजपा आलाकमान ने तैयार कर लिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह खुद बिहार चुनाव पर न केवल सक्रिय हैं बल्कि वे पूरा समय दे रहे हैं। रैली की जिम्मेदारी केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह को दी गई है।
आगामी 25 जुलाई को लीची नगरी मुजफ्फरपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक रैली और जनसभा एक तरह से भाजपा के लिए संजीवनी जैसा है। पीएम मोदी की इस रैली को विधानसभा चुनाव का आगाज के रूप में देखा जा रहा है। एक मंच पर एनडीए के सारे घटक दलों के नेता न केवल मौजूद रहेंगे बल्कि अपनी एकजुटता का प्रदर्शन भी करेंगे।
बिहार में परिवर्तन की बयार का चरणवद्ध खाका वित मंत्री अरुण जेटली के नेतृत्व में 15 केंद्रीय मंत्रालयों ने खींच लिया है। इसके तहत तीन चरणों में सबसे पहले विशेष पैकेज की घोषणा की जा सकती है। फिर योजनाओं में सुधार और विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नई योजनाएं लांच करने की घोषणा की जाएगी। इनकी रूपरेखा राज्य में रेलवे, सड़क, आधारभूत संरचना, आईटी, शिक्षा, कृषि और औद्योगिक विकास के क्षेत्र को विकसित करने के मद्देनजर तैयार की गई है।
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 जुलाई को परिवर्तन की बयार बहाने की शुरुआत राज्य को विषेश पैकेज देने की घोषणा के साथ मुजफ्फरपुर की रैली में कर सकते हैं। केंद्र की ओर से बिहार आईआईएम, पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय स्तर का दर्जा और व्यवस्थाएं, पटना और बोध गया एयरपोर्ट को बेहतर करना और बड़ी सड़क परियोजनाओं को बेहतर और पूरा करने का हवाला दिया जा सकता है।
वित्त मंत्री जेटली के साथ बिहार विधानसभा चुनाव मद्देनजर योजनाओं का खाका तैयार करने में प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्रा, पेट्रोलियम मंत्रालय के वरिष्ठ और कनिष्ठ मंत्री, रेलवे, नागरिक उड्यन, पर्यटन, सड़क परिवहन, दूर संचार और मानव संसाधन विकास मंत्री समेत अन्यों ने सहयोग दिया।
ये हैं बिहार से मंत्री
राधामोहन सिंह
रविशंकर प्रसाद
धमेंद्र प्रधान
राजीव प्रताप रूडी
रामकृपाल यादव
उपेंद्र कुशवाहा
इन सभी पर विभिन्न स्तरों पर राज्य चुनाव की कमान संभालने की जिम्मेदारी डाली जाएगी।
इन पर अहम जिम्मेदारी
अनंत कुमार
चुनाव प्रभारी की अहम भूमिका। पिछले विधानसभा चुनाव में भी प्रभारी रहने के कारण चुनावी रणनीति का अनुभव। केंद्र सरकार के मंत्रालयों की उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार करना।
भूपेंद्र यादव
बिहार के प्रभारी महासचिव व रणनीति टीम के मुखिया। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को रिपोर्टिंग। प्रदेश की कोर टीम के साथ समन्वय। मीडिया और सोशल मीडिया की कमान।
सौदान सिह
संगठन की अहम जिम्मेदारी। बूथ प्रबंधन से लेकर राज्य स्तर पर संगठन की देखभाल की जिम्मेदारी। आरएसएस परिवार के साथ समन्वय।
एक नज़र
बिहार सरकार पहले ही केंद्र से 1. 10 लाख करोड़ की विषेश पैकेज की मांग की थी जो ग्रामीण सड़क पथ निर्माण, कृषि, पंचायती राज, नगर विकास, ऊर्जा, उद्योग, पर्यटन क्षेत्र के लिए चाहिए था। बिजली घरों, मेट्रो और नमामि गंगा के लिए विषेश सहायता मांगी गई थी। बरौनी फर्टिलाइजर को खोलने की विषेश पैकेज की अपील की।
क्या कहते हैं केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह
इस बार बिहार की जनता सत्ता परिवर्तन के मूड में है। 2010 में मिले जनादेश का नीतीश कुमार ने अपमान किया है। जंगल राज से मुक्ति के लिए जनता ने एनडीए सरकार को सत्ता सौंपी थी लेकिन नीतीश जंगल राज से जाकर मिल गए।